Advertisement

केंद्रीय कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र को लेकर ताजा अपडेट, सरकार का रुख साफ Retirement Age Hike

Retirement Age Hike: प्रॉपर्टी से जुड़े कानूनों की जानकारी का आम लोगों में अभाव होता है। इसी कारण बहुत से परिवारों में संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि माता-पिता अपने बच्चों को दी गई संपत्ति वापस ले सकते हैं, अगर बच्चे उनकी उचित देखभाल नहीं करते। यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे समाज में बुजुर्गों की स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी।

बुजुर्गों के हितों की रक्षा के लिए कानून

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सी टी रविकुमार और संजय करोल की बेंच ने 2007 के मेंटनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन्स एक्ट की व्याख्या करते हुए यह फैसला दिया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा करना है। बेंच ने स्पष्ट किया कि अदालतों को बुजुर्गों की सहायता के लिए सजग रहना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। यह कानून उन बच्चों से संपत्ति वापस लेने का अधिकार देता है, जो अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते हैं, भले ही गिफ्ट डीड में इसका उल्लेख न हो।

Also Read:
Supreme Court Decision ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर सर्वोच्च अदालत का अहम फैसला, वाहन चालकों को मिली बड़ी राहत Supreme Court Decision

कानून की धारा 23 का महत्व

2007 के कानून की धारा 23 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर कोई वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति उपहार (गिफ्ट) या किसी अन्य तरीके से किसी को देता है, और उस व्यक्ति से अपेक्षा करता है कि वह उनकी देखभाल करेगा, लेकिन वह व्यक्ति ऐसा नहीं करता, तो यह संपत्ति हस्तांतरण धोखाधड़ी या धमकी से हुआ माना जाएगा। ऐसी स्थिति में, संबंधित ट्रिब्यूनल इस हस्तांतरण को रद्द कर सकता है। यह प्रावधान वरिष्ठ नागरिकों को उनके बच्चों या अन्य व्यक्तियों द्वारा होने वाले शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है।

मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक मामला

Also Read:
8th CPC Update फिटमेंट फैक्टर और DA मर्जर से केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में इतनी होगी बढ़ौतरी 8th CPC Update

इस फैसले का आधार मध्य प्रदेश के छतरपुर की रहने वाली उर्मिला दीक्षित का मामला था। उर्मिला ने 1968 में एक संपत्ति खरीदी थी और 7 सितंबर 2019 को उन्होंने अपने बेटे सुनील शरण दीक्षित को गिफ्ट डीड के माध्यम से यह संपत्ति दे दी। लेकिन कुछ ही समय बाद, 4 दिसंबर 2020 को, उन्होंने छतरपुर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के पास शिकायत दर्ज कराई कि उनके बेटे ने उन पर और उनके पति पर हमला किया है, और वह अधिक संपत्ति हथियाना चाहता है।

वचन पत्र और एसडीएम का फैसला

उर्मिला दीक्षित ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके बेटे ने संपत्ति हस्तांतरण से पहले एक वचन पत्र दिया था, जिसमें उसने उनकी देखभाल करने का वादा किया था। लेकिन बाद में उसने अपना वादा नहीं निभाया। इस आधार पर, एसडीएम ने गिफ्ट डीड को रद्द करने का आदेश दिया। यह फैसला बुजुर्गों के हितों की रक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम था और उनके अधिकारों की रक्षा के प्रति न्यायिक संवेदनशीलता को दर्शाता है।

Also Read:
2000 Rupee Notes 2 हजार के नोट को लेकर RBI ने दिया बड़ा अपडेट 2000 Rupee Notes

हाई कोर्ट से बेटे को राहत

सुनील शरण दीक्षित ने एसडीएम के फैसले के खिलाफ विभिन्न फोरमों में अपील की। उसने दावा किया कि उसकी मां ने फर्जी वचन पत्र पेश किया था। शुरू में, हर फोरम ने एसडीएम के आदेश को बरकरार रखा। लेकिन 31 अक्टूबर 2022 को, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अंततः उसके पक्ष में फैसला दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर माता की सेवा गिफ्ट डीड की शर्त थी, तो यह डीड में लिखा होना चाहिए था। चूंकि गिफ्ट डीड में इस शर्त का कोई उल्लेख नहीं था, इसलिए बेटा ही संपत्ति का वैध मालिक होगा।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Also Read:
8th Pay Commission बड़ी खबर! 8वें वेतन आयोग के तहत सैलरी में इजाफा 8th Pay Commission

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले को पलट दिया। 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में 2007 के वरिष्ठ नागरिक कानून के महत्व पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह कानून वरिष्ठ नागरिकों को उपेक्षा से बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने एस वनिता बनाम बेंगलुरु डिप्टी कमिश्नर और सुदेश छिकारा बनाम रमती देवी के मामलों का हवाला देते हुए कानून की स्पष्ट व्याख्या की।

ट्रिब्यूनल की शक्तियां और जिम्मेदारियां

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि ट्रिब्यूनल (इस मामले में एसडीएम) को यह अधिकार है कि वह संपत्ति पाने वाले को उससे हटाने का आदेश दे, जब कोई बुजुर्ग व्यक्ति उचित देखभाल न मिलने की शिकायत करता है। मामले की जांच के बाद ट्रिब्यूनल को यह अधिकार प्राप्त होता है। इस मामले में भी, एसडीएम ने सही आदेश दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे पलट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस त्रुटि को सुधारा और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के पक्ष में फैसला दिया।

Also Read:
construction rules near highways नेशनल हाईवे से कितनी दूरी पर होना चाहिए घर, निर्माण करने से पहले जान लें नियम construction rules near highways

समाज पर फैसले का प्रभाव

यह फैसला भारतीय समाज में वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा। यह संदेश देता है कि संपत्ति पाने वाले बच्चों की अपने माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी है, और अगर वे इस जिम्मेदारी को निभाने में विफल रहते हैं, तो उन्हें कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यह फैसला न केवल वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि समाज में पारिवारिक मूल्यों और सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।

समाप्ति और अनुशंसा

Also Read:
8th Pay Commission केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में ₹19,000 तक की बढ़ोतरी | जानिए नई सैलरी स्लैब 8th Pay Commission

इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह स्पष्ट करता है कि माता-पिता अपने बच्चों को दी गई संपत्ति वापस ले सकते हैं, अगर बच्चे उनकी उचित देखभाल नहीं करते। यह फैसला समाज में वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान और देखभाल की आवश्यकता पर जोर देता है और पारिवारिक संबंधों की मजबूती के लिए एक सकारात्मक संदेश देता है। हर व्यक्ति को अपने माता-पिता और अन्य वरिष्ठ सदस्यों के प्रति सम्मान और देखभाल की भावना रखनी चाहिए, क्योंकि यह न केवल नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि अब कानूनी दायित्व भी है।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी विशिष्ट मामले में कानूनी सलाह के लिए योग्य वकील से परामर्श करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख की जानकारी के उपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

Also Read:
DA Hike July सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 78 महीने की सबसे कम बढ़ोतरी, इस बार इतना होगा इजाफा DA Hike July

5 seconds remaining

Leave a Comment

Whatsapp Group