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ससुर की प्रोपर्टी में दामाद का कितना अधिकार, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में किया साफ property rights

property rights: पारिवारिक संपत्ति के मामले अक्सर विवादों का कारण बनते हैं, विशेषकर जब ससुराल की संपत्ति का प्रश्न होता है। अधिकांश लोग अपने संपत्ति के अधिकारों से पूरी तरह अवगत नहीं होते, जिससे परिवार में अनबन और कानूनी विवाद उत्पन्न होते हैं। हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया है, जिसमें ससुर की संपत्ति पर दामाद के अधिकारों को स्पष्ट किया गया है। इस लेख में हम इस निर्णय और संबंधित कानूनी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

कानूनी स्थिति

कानूनी दृष्टिकोण से, दामाद को अपने ससुर की संपत्ति पर स्वतः कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता है। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे सभी को समझना चाहिए। भले ही दामाद ने संपत्ति खरीदने या उसके विकास में आर्थिक सहायता प्रदान की हो, फिर भी वह कानूनी रूप से उस संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता। यह स्थिति तब तक बनी रहती है जब तक कि ससुर स्वयं अपनी इच्छा से संपत्ति को दामाद के नाम न करा दें।

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ससुर की मर्जी का महत्व

यदि ससुर अपनी स्वेच्छा से अपनी संपत्ति को दामाद के नाम करना चाहते हैं, तो वह कानूनी रूप से ऐसा कर सकते हैं। इस स्थिति में, संपत्ति का स्वामित्व पूर्ण रूप से दामाद को हस्तांतरित हो जाता है, और उसके बाद ससुर का उस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहता। यह हस्तांतरण एक स्वैच्छिक निर्णय होना चाहिए और किसी भी प्रकार के दबाव या धोखाधड़ी से मुक्त होना आवश्यक है। अगर ससुर नहीं चाहते तो वे अपनी संपत्ति दामाद को देने के लिए बाध्य नहीं हैं।

मनमानी और जबरदस्ती के परिणाम

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कई मामलों में, दामाद यह सोचते हैं कि उनकी पत्नी (ससुर की बेटी) के माध्यम से वे ससुर की संपत्ति पर अधिकार जमा सकते हैं। लेकिन ऐसी मनमानी या जबरदस्ती कानूनी रूप से अपराध माना जाता है। ससुर इस प्रकार के अनुचित व्यवहार के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं, और अधिकतर मामलों में कानून ऐसे दामाद का समर्थन नहीं करता। यदि कोई दामाद ऐसी हरकत करता है, तो उसे गंभीर कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

केरल हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

हाल ही में, केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें डेविस राफेल नामक एक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया गया। डेविस ने अपने ससुर हेंड्री थॉमस की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था और उस पर अपना अधिकार जताया था। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि संपत्ति पर हेंड्री थॉमस का ही अधिकार है, न कि उनके दामाद का।

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मामले के तथ्य और तर्क

इस मामले में, हेंड्री थॉमस का दावा था कि विवादित संपत्ति उन्हें उपहार में मिली थी और उन्होंने अपनी मेहनत से वहां एक पक्का मकान बनाया था। दूसरी ओर, दामाद डेविस राफेल का तर्क था कि यह प्रॉपर्टी संदिग्ध है और स्थानीय चर्च द्वारा पूरे परिवार को उपहार स्वरूप दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि उन्होंने हेंड्री की इकलौती बेटी से विवाह किया था और उन्हें परिवार का सदस्य माना गया था, इसलिए उन्हें भी उस घर में रहने का अधिकार है।

न्यायालय का निर्णय और कारण

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हाईकोर्ट ने डेविस राफेल की याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि दामाद होने के नाते वह अपने ससुर की संपत्ति पर अधिकार का दावा नहीं कर सकता। न्यायालय ने यह भी नहीं माना कि विवाह के बाद दामाद परिवार का सदस्य बनकर संपत्ति का अधिकारी हो जाता है। यह निर्णय स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कानून ससुर की संपत्ति पर उनके अधिकारों की रक्षा करता है।

बहू के अधिकार की स्थिति

जहां दामाद के अधिकारों की बात है, वहीं बहू की स्थिति कुछ अलग होती है। बहू को भी सीधे तौर पर ससुराल की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता है। हालांकि, उसे अपने पति के माध्यम से संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है। पति के निधन के बाद, पत्नी को केवल वही संपत्ति मिल सकती है जो उसके पति के नाम पर थी। यदि सास-ससुर ने अपनी संपत्ति की वसीयत कहीं और नहीं की है, तो कुछ परिस्थितियों में बहू को पैतृक संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है।

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बेटा और बेटी के अधिकारों में अंतर

अपने पिता की संपत्ति में बेटे और बेटी दोनों को हिस्सा मिलता है, लेकिन ससुराल की संपत्ति के मामले में उनके अधिकार अलग-अलग होते हैं। आधुनिक कानून बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में समान अधिकार देता है, लेकिन यह अधिकार उनके पति (दामाद) को स्वतः हस्तांतरित नहीं होता। यह एक महत्वपूर्ण विभेद है जिसे हर परिवार को समझना चाहिए।

संपत्ति के अधिकारों को समझना हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से पारिवारिक संबंधों के संदर्भ में। ससुर की संपत्ति पर दामाद के अधिकारों के मामले में, कानून स्पष्ट है – दामाद को अपने ससुर की संपत्ति पर स्वतः कोई अधिकार नहीं होता है। केवल जब ससुर अपनी इच्छा से संपत्ति को दामाद के नाम कराते हैं, तभी दामाद उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है। इस समझ के साथ, परिवारों को संपत्ति से जुड़े विवादों से बचने और पारिवारिक संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

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Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। संपत्ति से संबंधित किसी भी विवाद या प्रश्न के लिए, कृपया योग्य कानूनी सलाहकार से परामर्श करें। प्रत्येक मामले की परिस्थितियां अलग हो सकती हैं, और न्यायालय के निर्णय विशिष्ट तथ्यों पर आधारित होते हैं।

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