Advertisement

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टैक्सपेयर्स को मिली बड़ी राहत, अब इनकम टैक्स विभाग की नहीं चलेगी मनमानी Income Tax

Income Tax: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले से देश के करोड़ों करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी और आयकर विभाग की मनमानी पर अंकुश लगेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि आयकर विभाग को इनकम टैक्स एक्ट में वर्णित प्रावधानों के अनुसार ही कार्रवाई करनी होगी और बिना ठोस सबूतों के करदाताओं को परेशान नहीं किया जा सकता।

सेक्शन 153ए के प्रावधानों का पालन अनिवार्य

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 153ए के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की तलाशी में विभाग को ठोस सबूत नहीं मिलते हैं तो करदाता की आय को बढ़ाकर नहीं दिखाया जा सकता। यह फैसला आयकर विभाग की मनमानी पर रोक लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे बेवजह परेशान किए जाने वाले करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी, जो अक्सर संदेह के आधार पर आयकर विभाग की कार्रवाई का शिकार हो जाते हैं।

Also Read:
2000 Rupee Notes 2 हजार के नोट को लेकर RBI ने दिया बड़ा अपडेट 2000 Rupee Notes

रीअसेसमेंट पर महत्वपूर्ण टिप्पणी

आयकर विभाग द्वारा आईटीआर के आधार पर या अन्य संदेह होने पर कर मामलों की असेसमेंट की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 153ए के अनुसार जिन मामलों में असेसमेंट पहले ही पूरी हो चुकी है, उन्हें विभाग दोबारा नहीं खोल सकता है। तलाशी के दौरान किसी करदाता के खिलाफ ठोस सबूत मिलने पर ही नियमानुसार किसी मामले की रीअसेसमेंट की जा सकती है। यह स्पष्टीकरण करदाताओं को अनावश्यक परेशानी से बचाएगा।

पुख्ता सबूत मिलने पर फिर से खुल सकता है केस

Also Read:
8th Pay Commission बड़ी खबर! 8वें वेतन आयोग के तहत सैलरी में इजाफा 8th Pay Commission

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग के लिए एक विकल्प भी खुला रखा है। अदालत ने कहा है कि अगर आयकर विभाग को बाद में कोई पुख्ता सबूत मिलते हैं तो टैक्स चोरी के मामले को फिर से खोला जा सकता है। सामान्य मामलों में तीन साल बाद कोई मामला नहीं खंगाले जाने का नियम है, लेकिन गंभीर मामलों या 50 लाख रुपये से अधिक की आय छिपाने के मामले में विभाग 10 साल बाद भी जांच कर सकता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि वास्तविक टैक्स चोरी के मामले बिना जांच के न रह जाएं।

हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की सहमति

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने हाईकोर्ट के पहले के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा है कि रीअसेसमेंट की प्रक्रिया का करदाताओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर कोई करदाता वास्तव में दोषी नहीं है, तो उसे बेवजह कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जिससे उसे मानसिक और आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसीलिए न्यायालय ने विभाग को निर्देश दिया है कि वह पहले पक्के सबूत जुटाए और फिर ही किसी मामले को आगे बढ़ाए।

Also Read:
construction rules near highways नेशनल हाईवे से कितनी दूरी पर होना चाहिए घर, निर्माण करने से पहले जान लें नियम construction rules near highways

धारा 153ए का महत्व

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 153ए में किसी व्यक्ति या करदाता की इनकम से जुड़ी जांच करने या तलाशी लेने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत किसी की आय की जांच प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है। इस धारा के तहत अघोषित आय पर टैक्स लगाया जा सकता है। इसके अलावा, धारा 147 और 148 के तहत किसी मामले को रीअसेसमेंट कर दोबारा खंगाला जा सकता है, लेकिन इसके लिए भी ठोस आधार होना आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक प्रभाव

Also Read:
8th Pay Commission केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में ₹19,000 तक की बढ़ोतरी | जानिए नई सैलरी स्लैब 8th Pay Commission

इस फैसले का व्यापक प्रभाव पड़ेगा और इससे आयकर विभाग में पारदर्शिता आएगी। करदाताओं को अब बिना किसी ठोस आधार के परेशान नहीं किया जा सकेगा। साथ ही, यह फैसला आयकर विभाग को अपनी कार्रवाही में और अधिक सावधानी बरतने के लिए प्रेरित करेगा। इससे टैक्स कानूनों के उचित क्रियान्वयन में मदद मिलेगी और करदाताओं के अधिकारों की भी रक्षा होगी।

करदाताओं के लिए क्या है इसका अर्थ

इस फैसले का अर्थ है कि अब आयकर विभाग बिना किसी ठोस सबूत के करदाताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकेगा। अगर किसी मामले में पहले ही असेसमेंट हो चुकी है, तो उसे बिना नए सबूतों के दोबारा नहीं खोला जा सकता। यह करदाताओं को अनावश्यक परेशानी और मुकदमेबाजी से बचाएगा। हालांकि, यह फैसला ईमानदार करदाताओं की सुरक्षा करते हुए, टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता भी बंद नहीं करता है।

Also Read:
DA Hike July सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 78 महीने की सबसे कम बढ़ोतरी, इस बार इतना होगा इजाफा DA Hike July

आयकर विभाग के लिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों का पालन करते हुए ही कार्रवाई करे। विभाग को करदाताओं के अधिकारों का सम्मान करना होगा और बिना ठोस आधार के किसी भी व्यक्ति को परेशान नहीं किया जा सकता। यह फैसला विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करेगा।

सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला करदाताओं के अधिकारों की रक्षा और आयकर विभाग की मनमानी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी और टैक्स व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। यह फैसला यह सुनिश्चित करेगा कि आयकर विभाग अपनी शक्तियों का उचित उपयोग करे और इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों का पालन करे।

Also Read:
8th Pay Commission Updates हो गया फाइनल, सरकारी कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और ग्रेच्युटी में इतनी होगी बढ़ौतरी 8th Pay Commission Updates

Disclaimer

यह लेख सिर्फ सूचनात्मक उद्देश्य के लिए है। किसी भी कानूनी मामले में व्यक्तिगत सलाह के लिए कृपया योग्य कर सलाहकार या वकील से परामर्श करें। लेख में दी गई जानकारी के आधार पर की गई किसी भी कार्रवाई के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे।

Also Read:
High Court Decision किराए की प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कैसे होगा तय, हाईकोर्ट ने दिया जवाब High Court Decision
5 seconds remaining

Leave a Comment

Whatsapp Group