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होम लोन लेते समय 90 प्रतिशत लोग करते हैं ये गलती, फिर लोन चुकाने में लग जाता है डबल समय Home Loan EMI

Home Loan EMI: हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका एक अपना घर हो, जहां वह अपने परिवार के साथ सुरक्षित और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सके। लेकिन आज के समय में बढ़ती महंगाई और प्रॉपर्टी की ऊंची कीमतों के कारण, अपने सपनों का घर खरीदना आसान नहीं रहा है। अधिकतर लोगों को इस सपने को पूरा करने के लिए बैंकों से होम लोन लेना पड़ता है और अपनी जमा पूंजी का एक हिस्सा भी इसमें लगाना पड़ता है। होम लोन एक बड़ा वित्तीय निर्णय होता है, जिसका प्रभाव कई वर्षों तक रहता है।

होम लोन लेते समय लोग अक्सर कई पहलुओं पर विचार करते हैं, जैसे ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस, और लोन की अवधि। लेकिन इन सब में सबसे महत्वपूर्ण है लोन की अवधि, जिसके बारे में ज्यादातर लोग एक बड़ी गलती कर बैठते हैं। इस गलती के कारण जो लोन 20 साल में चुकाया जा सकता था, उसे चुकाने में 30 साल या उससे भी अधिक समय लग सकता है। आइए जानते हैं कि यह गलती क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

वह आम गलती जो बढ़ा देती है होम लोन की अवधि

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होम लोन लेने के बाद अधिकतर लोग जो आम गलती करते हैं, वह है अपनी ईएमआई (समान मासिक किस्त) को कम रखने के लिए लोन की अवधि को बढ़ा लेना। शुरुआत में कम ईएमआई देना आकर्षक लग सकता है, क्योंकि इससे मासिक वित्तीय बोझ कम होता है। लेकिन लंबी अवधि में यह एक महंगा सौदा साबित होता है। क्योंकि जितनी लंबी अवधि के लिए लोन लिया जाता है, उतने ही अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।

इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण कारक है जिस पर ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते – ब्याज दरों में परिवर्तन। होम लोन आमतौर पर फ्लोटिंग रेट पर होते हैं, जिसका अर्थ है कि लोन की अवधि के दौरान ब्याज दरें बदल सकती हैं। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो बैंक अक्सर लोन की अवधि को बढ़ाकर ईएमआई को समान रखते हैं, ताकि ग्राहकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ न पड़े। परिणामस्वरूप, जो लोन पहले 20 साल में चुकाना था, अब उसे चुकाने में 25, 30 या उससे भी अधिक साल लग सकते हैं।

ब्याज दरों में बदलाव और उसका प्रभाव

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ब्याज दरों में परिवर्तन सीधे तौर पर आपके होम लोन की अवधि को प्रभावित करता है। ब्याज दरें रेपो रेट पर निर्भर करती हैं, जो वह दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को ऋण देता है। जब रेपो रेट में बदलाव होता है, तो बैंक अपनी ब्याज दरों में भी बदलाव करते हैं, जो सीधे आपके होम लोन पर लागू होता है।

जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो बैंक आम तौर पर ग्राहकों की ईएमआई की राशि को नहीं बढ़ाते, बल्कि लोन की अवधि को बढ़ा देते हैं। यह एक ऐसी प्रथा है जिसके बारे में ग्राहकों को शायद ही कभी स्पष्ट रूप से बताया जाता है। इस व्यवस्था से बैंकों को फायदा होता है, क्योंकि वे लंबी अवधि तक ब्याज के रूप में अधिक राशि प्राप्त करते हैं। लेकिन ग्राहकों के लिए, यह एक महंगा सौदा साबित होता है, क्योंकि उन्हें ब्याज के रूप में काफी अधिक राशि का भुगतान करना पड़ता है।

एक उदाहरण से समझें प्रभाव

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आइए एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं कि ब्याज दरों में परिवर्तन आपके होम लोन पर कैसे प्रभाव डालता है। मान लीजिए कि आपने 8% की ब्याज दर पर 20 साल के लिए 30 लाख रुपये का होम लोन लिया है। इस स्थिति में, आपकी मासिक ईएमआई लगभग 25,093 रुपये होगी। अब मान लीजिए कि 5 साल बाद, ब्याज दर बढ़कर 11% हो जाती है। इस समय तक, आपने लगभग 4 लाख रुपये का मूलधन चुका दिया होगा, और आपका बकाया लोन लगभग 26 लाख रुपये होगा।

अब, यदि आपकी ईएमआई को समान रखते हुए लोन की अवधि समायोजित की जाती है, तो बाकी के 15 साल की जगह, आपका लोन अब 28 साल में पूरा होगा। यानी, आपका कुल लोन अवधि 5 + 28 = 33 साल हो जाएगी, जो मूल 20 साल से 13 साल अधिक है। दूसरी ओर, यदि आप लोन की अवधि को 15 साल ही रखना चाहते हैं, तो आपकी ईएमआई बढ़कर लगभग 29,500 रुपये हो जाएगी।

कैसे बचें इस वित्तीय जाल से?

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अगर आप नहीं चाहते कि ब्याज दरें बढ़ने पर आपके होम लोन की अवधि बढ़े, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, ब्याज दरों में किसी भी बदलाव के बाद, तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और अपने लोन को पुनर्गठित (रीस्ट्रक्चर) करवाएं। इसका मतलब है कि आप बैंक से अवधि बढ़ाने के बजाय, नई ब्याज दर के अनुसार अपनी ईएमआई बढ़ाने का अनुरोध करें।

ज्यादातर लोग यह कदम नहीं उठाते और बैंक से लोन रीस्ट्रक्चर नहीं करवाते, जिससे उनकी लोन की अवधि बढ़ जाती है। याद रखें, बैंक आपको प्रोएक्टिव होकर इस बारे में सूचित नहीं करेंगे, क्योंकि लोन की अवधि बढ़ने से उन्हें ब्याज के रूप में अधिक राशि मिलती है। इसलिए, अपने वित्तीय हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी आपकी है।

अतिरिक्त भुगतान का महत्व

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एक और प्रभावी रणनीति है अपने होम लोन पर अतिरिक्त भुगतान करना। जब भी आपके पास अतिरिक्त धन हो, उसे अपने होम लोन के मूलधन पर लगाएं। इससे न केवल आपका मूलधन तेजी से कम होगा, बल्कि लोन की कुल अवधि भी कम हो जाएगी। सिर्फ आपकी नियमित ईएमआई का एक छोटा सा हिस्सा मूलधन के चुकाने में जाता है, जबकि अधिकांश हिस्सा ब्याज के रूप में जाता है। इसलिए, अतिरिक्त भुगतान से आप सीधे मूलधन को कम करते हैं, जिससे भविष्य में देय ब्याज की राशि भी कम हो जाती है।

कई बैंक मूलधन के अतिरिक्त भुगतान पर शुल्क लेते हैं, विशेष रूप से लोन के शुरुआती वर्षों में। लेकिन यह शुल्क आमतौर पर उस ब्याज से काफी कम होता है, जो आप लोन की पूरी अवधि में चुकाते हैं। इसलिए, अपने बैंक की पूर्व भुगतान नीतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और अपनी वित्तीय योजना के अनुसार अतिरिक्त भुगतान करें।

ब्याज दरों की निगरानी और बेहतर विकल्प तलाशना

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ब्याज दरों पर नियमित रूप से नजर रखना भी महत्वपूर्ण है। यदि आप देखते हैं कि अन्य बैंक कम ब्याज दरों पर होम लोन प्रदान कर रहे हैं, तो बैंक स्विचिंग के विकल्प पर विचार करें। आजकल, होम लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक में स्थानांतरित करना काफी आसान हो गया है और इससे आप काफी पैसे बचा सकते हैं।

ब्याज दरों में अंतर भले ही 0.5% या 1% का हो, लेकिन लंबी अवधि में यह अंतर हजारों या लाखों रुपयों का हो सकता है। इसलिए, हमेशा विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करें और अपने वित्तीय हितों के अनुसार निर्णय लें। याद रखें, छोटे से अंतर भी लंबी अवधि में बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।

अपनी वित्तीय साक्षरता बढ़ाएं

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अंत में, सबसे महत्वपूर्ण बात है अपनी वित्तीय साक्षरता को बढ़ाना। होम लोन लेते समय, अनुबंध के सभी शर्तों और नियमों को ध्यान से पढ़ें और समझें। यदि कोई बात स्पष्ट नहीं है, तो बैंक के अधिकारियों से पूछें या किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। जितना अधिक आप अपने वित्त के बारे में जानेंगे, उतना ही बेहतर निर्णय ले पाएंगे।

याद रखें, होम लोन एक लंबी अवधि का वित्तीय प्रतिबद्धता है, और इसे ध्यान से प्रबंधित करना आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। ब्याज दरों में परिवर्तन के प्रभाव को समझें और अपने लोन की अवधि को नियंत्रित रखने के लिए सक्रिय कदम उठाएं। इस तरह, आप अपने सपनों के घर का आनंद लेने के साथ-साथ अपने वित्तीय लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकते हैं।

होम लोन लेना अपने सपनों का घर खरीदने का एक माध्यम है, लेकिन इसे बिना सोचे-समझे नहीं लेना चाहिए। ब्याज दरों में परिवर्तन और उनके प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है। अक्सर लोग अपनी ईएमआई को कम रखने के लिए लोन की अवधि को बढ़ा लेते हैं, जो लंबी अवधि में एक महंगा सौदा साबित होता है। इसके बजाय, ब्याज दरों में परिवर्तन के बाद अपने लोन को पुनर्गठित करवाएं, अतिरिक्त भुगतान करें, और अपनी वित्तीय साक्षरता बढ़ाएं।

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याद रखें, बैंक अपने हित में काम करते हैं, और आपको अपने वित्तीय हितों की रक्षा स्वयं करनी होगी। सही जानकारी और सक्रिय निर्णय लेकर, आप न केवल अपने होम लोन को समय पर चुका सकते हैं, बल्कि हजारों या लाखों रुपये भी बचा सकते हैं। अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए आज ही इन कदमों को उठाना शुरू करें।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। होम लोन लेने से पहले, कृपया अपने वित्तीय सलाहकार या बैंक के अधिकारियों से परामर्श करें। लेख में दी गई जानकारी सामान्य प्रकृति की है और व्यक्तिगत वित्तीय स्थितियों के अनुसार भिन्न हो सकती है। ब्याज दरें, लोन की शर्तें और अन्य विवरण बैंक से बैंक और समय के साथ बदल सकते हैं। लेखक और प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।

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