CIBIL Score News: वित्तीय लेनदेन में सिबिल स्कोर का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह तीन अंकों की संख्या किसी भी ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री, बैंक से उसके लेनदेन और वित्तीय क्षमता को दर्शाती है। सिबिल स्कोर लोन देने वाली संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मापदंड है, जिसके आधार पर वे यह तय करते हैं कि आपको लोन दिया जाए या नहीं। अच्छा सिबिल स्कोर होने से आपको कम ब्याज दर पर लोन मिलता है और आवेदन प्रक्रिया भी तेजी से पूरी होती है।
आरबीआई के नए नियम
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सिबिल स्कोर से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के अनुसार, अब सिबिल स्कोर महीने में दो बार अपडेट किया जाएगा। यह हर 15 दिन में अपडेट होगा, जिससे ग्राहकों को अपने क्रेडिट स्कोर में होने वाले बदलावों की अधिक सटीक और नवीनतम जानकारी मिलेगी। आरबीआई ने यह नियम हर महीने की 15 तारीख और महीने के अंत में सिबिल स्कोर अपडेट करने के लिए निर्धारित किया है। हालांकि, बैंक अपनी सुविधा के अनुसार अन्य तारीखें भी चुन सकते हैं।
सिबिल स्कोर चेक करने के प्रकार और उनका प्रभाव
सिबिल स्कोर चेक करने के दो प्रकार होते हैं – सॉफ्ट इंक्वायरी और हार्ड इंक्वायरी। जब आप खुद अपना सिबिल स्कोर चेक करते हैं, तो यह सॉफ्ट इंक्वायरी कहलाता है। इससे आपके सिबिल स्कोर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। आप चाहें जितनी बार अपना सिबिल स्कोर चेक कर सकते हैं। दूसरी ओर, जब कोई बैंक या वित्तीय संस्था आपके लोन आवेदन के लिए आपका सिबिल स्कोर चेक करती है, तो यह हार्ड इंक्वायरी कहलाता है।
हार्ड इंक्वायरी का नकारात्मक प्रभाव
हार्ड इंक्वायरी का आपके सिबिल स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जब भी आप किसी लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, तो बैंक या वित्तीय संस्था आपका सिबिल स्कोर चेक करती है, जिससे हार्ड इंक्वायरी होती है। हर हार्ड इंक्वायरी से आपके सिबिल स्कोर में कुछ अंकों की कमी आ सकती है। इसलिए बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने से बचना चाहिए। अगर आप कम समय में कई बार लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो इससे आपका सिबिल स्कोर और भी अधिक प्रभावित हो सकता है।
क्रेडिट स्कोर की रेंज और इसका महत्व
क्रेडिट स्कोर या सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, 750 से अधिक का सिबिल स्कोर अच्छा माना जाता है। अगर आपका सिबिल स्कोर 750 से अधिक है, तो आपको लोन और क्रेडिट कार्ड के लिए आसानी से मंजूरी मिल जाती है और साथ ही आपको कम ब्याज दर का लाभ भी मिलता है। इसके विपरीत, कम सिबिल स्कोर होने पर लोन मिलना मुश्किल हो जाता है, और अगर मिलता भी है तो अधिक ब्याज दर पर।
सिबिल स्कोर खराब होने के कारण
कई कारण हैं जिनसे आपका सिबिल स्कोर खराब हो सकता है। सबसे प्रमुख कारण है लोन या क्रेडिट कार्ड की ईएमआई का समय पर भुगतान न करना। इसके अलावा, क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो का अधिक होना भी सिबिल स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह रेश्यो बताता है कि आप अपनी उपलब्ध क्रेडिट सीमा का कितना उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा, अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के लोन के गारंटर बनते हैं जो लोन चुकाने में डिफॉल्ट करता है, तो इससे भी आपका सिबिल स्कोर प्रभावित होगा।
लोन सेटलमेंट और सिबिल स्कोर पर इसका प्रभाव
कई लोग वित्तीय कठिनाइयों के कारण लोन सेटलमेंट का विकल्प चुनते हैं, जिसमें बैंक मूल राशि का एक हिस्सा माफ कर देता है। हालांकि, यह जानना महत्वपूर्ण है कि लोन सेटलमेंट आपके सिबिल स्कोर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे आपका सिबिल स्कोर काफी नीचे जा सकता है और इसका प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है। इसलिए, जब तक अत्यंत आवश्यक न हो, लोन सेटलमेंट से बचना चाहिए और पूरी राशि चुकाने का प्रयास करना चाहिए।
सिबिल स्कोर को खराब होने से बचाने के उपाय
अपने सिबिल स्कोर को खराब होने से बचाने के लिए कई उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है लोन और क्रेडिट कार्ड की ईएमआई का समय पर भुगतान करना। इसके अलावा, अपने क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो को 30% से कम रखने का प्रयास करें। बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन न करें, क्योंकि हर आवेदन से हार्ड इंक्वायरी होती है जिससे सिबिल स्कोर प्रभावित होता है। सिबिल स्कोर को बचाने के लिए नियमित रूप से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करें और उसमें किसी भी गलती को सुधारवाएं।
सिबिल स्कोर सुधारने के उपाय
अगर आपका सिबिल स्कोर खराब हो गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। धैर्य और सही वित्तीय आदतों से इसे सुधारा जा सकता है। सबसे पहले, अपने सभी लोन और क्रेडिट कार्ड की ईएमआई का समय पर भुगतान करना शुरू करें। अपने क्रेडिट कार्ड के बकाया का पूरा भुगतान करें, न कि केवल न्यूनतम राशि। अगर आपके पास एक से अधिक क्रेडिट कार्ड या लोन हैं, तो पहले उच्च ब्याज वाले ऋण का भुगतान करें।
क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो का प्रबंधन
क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो को कम रखना सिबिल स्कोर सुधारने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह रेश्यो आपकी कुल क्रेडिट लिमिट के अनुपात में आपके द्वारा उपयोग की गई क्रेडिट राशि को दर्शाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस रेश्यो को 30% से कम रखना चाहिए। अगर आपका क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो अधिक है, तो अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़वाने के लिए बैंक से संपर्क कर सकते हैं या अपने खर्च को कम करके इस रेश्यो को कम कर सकते हैं।
नियमित रूप से सिबिल स्कोर की जांच
अपने सिबिल स्कोर की नियमित रूप से जांच करना एक अच्छी आदत है। इससे आपको अपनी वित्तीय स्थिति का पता चलता रहता है और आप समय रहते सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं। सिबिल के आधिकारिक वेबसाइट या आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों से अपना सिबिल स्कोर चेक कर सकते हैं। याद रखें, खुद अपना सिबिल स्कोर चेक करने से आपके स्कोर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
सिबिल स्कोर सुधारने में समय
सिबिल स्कोर सुधारने में समय लगता है, इसलिए धैर्य रखें। अच्छी वित्तीय आदतें अपनाकर और नियमित रूप से अपने सिबिल स्कोर की जांच करके आप धीरे-धीरे अपने सिबिल स्कोर को सुधार सकते हैं। याद रखें, सिबिल स्कोर सुधारने के लिए कोई तुरंत समाधान नहीं है। यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें लगातार प्रयास और सही वित्तीय निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। सिबिल स्कोर से संबंधित नियम और पॉलिसियां समय के साथ बदल सकती हैं। इसलिए, नवीनतम जानकारी के लिए आरबीआई या सिबिल की आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क करें। किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना सुनिश्चित करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।