Advertisement

क्या सास-ससुर की प्रोपर्टी पर बहू ठोक सकती है अपना दावा, जानिए कानून Property Rights

Property Rights: भारत में संपत्ति विवादों का इतिहास काफी पुराना और जटिल है। इन्हीं विवादों को देखते हुए भारतीय संविधान में संपत्ति से जुड़े अनेक कानून और नियम बनाए गए हैं। परिवार में संपत्ति को लेकर अक्सर गलतफहमियां होती हैं, जिनका कारण है इन कानूनों की सही जानकारी का अभाव। विशेष रूप से, सास-ससुर की संपत्ति पर बहू के अधिकार का मुद्दा अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है। आइए जानते हैं कि वास्तव में कानून इस बारे में क्या कहता है।

स्व-अर्जित संपत्ति और बहू के अधिकार

सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि स्व-अर्जित संपत्ति क्या होती है। स्व-अर्जित संपत्ति वह होती है जिसे व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में अपनी मेहनत और प्रयासों से अर्जित किया है। भारतीय कानून के अनुसार, यदि संपत्ति सास-ससुर द्वारा स्वयं अर्जित की गई है, तो बहू का उस पर सीधा कानूनी अधिकार नहीं होता है। इस प्रकार की संपत्ति पर पूर्ण नियंत्रण संपत्ति के मालिक यानी सास-ससुर का ही होता है। वे अपनी इच्छानुसार इस संपत्ति को किसी भी व्यक्ति को दे सकते हैं या वसीयत के माध्यम से हस्तांतरित कर सकते हैं।

Also Read:
8th Pay Commission कर्मचारियों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, जाने किसकी कितनी बढ़ी सैलरी 8th Pay Commission

बहू को अधिकार कैसे मिल सकता है?

हालांकि बहू को सास-ससुर की स्व-अर्जित संपत्ति पर प्रत्यक्ष अधिकार नहीं होता, लेकिन कुछ परिस्थितियों में उसे अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार मिल सकता है। मुख्य रूप से, बहू को यह अधिकार अपने पति के माध्यम से प्राप्त होता है। यदि सास-ससुर अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा अपने बेटे (बहू के पति) को देते हैं, और फिर बेटा उस संपत्ति का अधिकार अपनी पत्नी के नाम पर स्थानांतरित करता है, तो बहू उस संपत्ति की कानूनी मालिक बन जाती है। इसके अलावा, यदि सास-ससुर अपनी इच्छा से अपनी संपत्ति बहू के नाम कर देते हैं, तो भी वह उसकी मालिक बन जाती है।

पैतृक संपत्ति और बहू के अधिकार

Also Read:
Personal Loan अब आसानी से नहीं मिलेगा पर्सनल लोन, जान लें आरबीआई के ये नये नियम Personal Loan

पैतृक संपत्ति वह होती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है और परिवार के सदस्यों की साझा संपत्ति मानी जाती है। इस प्रकार की संपत्ति पर बहू के अधिकार की स्थिति स्व-अर्जित संपत्ति से अलग होती है। कानून के मुताबिक, यदि किसी परिवार में पैतृक संपत्ति है, तो बहू उस संपत्ति पर निश्चित परिस्थितियों में दावा कर सकती है। मुख्य रूप से, यदि उसका पति अपने हिस्से की संपत्ति का अधिकार उसके नाम पर स्थानांतरित करता है, तो वह उस हिस्से की मालिक बन जाती है। इसके अलावा, पति की मृत्यु होने पर भी बहू पति के हिस्से की पैतृक संपत्ति पर दावा कर सकती है।

हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और कानूनी प्रावधान

हिंदू अविभाजित परिवार (Hindu Undivided Family – HUF) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जिसे समझना आवश्यक है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार, एक HUF में जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति जन्म से ही सहदायिक (Coparcener) होता है। सहदायिक वह होता है जिसे जन्म से ही पैतृक संपत्ति पर अधिकार प्राप्त होता है। बहू को हिंदू अविभाजित परिवार के सदस्य का दर्जा तो मिलता है, लेकिन वह सहदायिक नहीं होती। इसका अर्थ है कि उसे जन्म के आधार पर संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता, बल्कि वह परिवार का सदस्य होने के नाते केवल भरण-पोषण का अधिकार रखती है।

Also Read:
Home Loan Rule होम लोन वाले बचा सकते हैं लाखों रुपये, जानिए क्या है होम लोन बैलेंस ट्रांसफर Home Loan Rule

संशोधित कानून और महिलाओं के अधिकार

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए थे, जिसके बाद बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार मिल गया। इस संशोधन से पहले, केवल बेटे ही सहदायिक होते थे, लेकिन अब बेटियां भी सहदायिक हैं और उन्हें भी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त है। हालांकि, यह संशोधन बहू के अधिकारों पर सीधा प्रभाव नहीं डालता। बहू को अभी भी सहदायिक का दर्जा नहीं मिलता, और वह सीधे तौर पर सास-ससुर की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती।

संयुक्त परिवार में रहने का अधिकार

Also Read:
Home Loan EMI होम लोन लेते समय 90 प्रतिशत लोग करते हैं ये गलती, फिर लोन चुकाने में लग जाता है डबल समय Home Loan EMI

भारतीय कानून बहू को सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार (Right to Residence) देता है, भले ही उसे स्व-अर्जित संपत्ति में हिस्सा न मिले। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के अनुसार, एक विवाहित महिला को अपने पति के परिवार के साझा घर में रहने का अधिकार है। यह अधिकार तब भी बना रहता है जब पति और पत्नी के बीच विवाद हो या पति की मृत्यु हो जाए। इस प्रकार, कानून बहू को कुछ सुरक्षा प्रदान करता है, भले ही उसे संपत्ति में सीधा हिस्सा न मिले।

सास-ससुर की मृत्यु के बाद संपत्ति का बंटवारा

सास-ससुर की मृत्यु के बाद उनकी स्व-अर्जित संपत्ति का बंटवारा उनकी वसीयत के अनुसार होता है। यदि वे बिना वसीयत के मर जाते हैं, तो उनकी संपत्ति उनके कानूनी वारिसों में बांटी जाती है, जिनमें उनके बेटे और बेटियां शामिल होते हैं। बहू को पति के माध्यम से ही अधिकार मिलता है, अर्थात यदि पति जीवित है, तो वह अपने माता-पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा प्राप्त करता है, और फिर अपनी इच्छानुसार उसे अपनी पत्नी को दे सकता है। यदि पति की मृत्यु हो जाती है, तो बहू पति के हिस्से की संपत्ति पर दावा कर सकती है, लेकिन केवल उसी हिस्से पर जो पति को मिलता।

Also Read:
Home Loan बैंक से लेना है 50 लाख से ज्यादा का होम लोन, जानिए कौन से बैंक का है सबसे कम ब्याज Home Loan

संपत्ति विवादों से बचने के उपाय

संपत्ति विवादों से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कानूनी जानकारी रखना और समय पर वसीयत तैयार करना। सास-ससुर को अपनी स्व-अर्जित संपत्ति के लिए एक स्पष्ट वसीयत बना लेनी चाहिए, जिसमें उनकी इच्छा अनुसार संपत्ति का बंटवारा स्पष्ट रूप से लिखा हो। इससे भविष्य में होने वाले विवादों से बचा जा सकता है और परिवार में सद्भाव बना रहता है। इसके अलावा, परिवार के सभी सदस्यों को संपत्ति से जुड़े कानूनों की जानकारी होनी चाहिए ताकि गलतफहमियां न पैदा हों।

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि सास-ससुर की स्व-अर्जित संपत्ति पर बहू का सीधा कानूनी अधिकार नहीं होता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में उसे पति के माध्यम से या सास-ससुर की इच्छा से अधिकार मिल सकता है। पैतृक संपत्ति के मामले में भी, बहू को प्रत्यक्ष अधिकार नहीं मिलता, बल्कि उसे पति के माध्यम से या पति की मृत्यु के बाद अधिकार प्राप्त होता है। संपत्ति विवादों से बचने के लिए कानूनी प्रावधानों की सही जानकारी रखना और समय पर वसीयत तैयार करना महत्वपूर्ण है।

Also Read:
PM Vishwakarma Yojana पीएम विश्वकर्मा योजना 15000 रुपए के नए आवेदन शुरू PM Vishwakarma Yojana

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी कानूनी मामले में सलाह के लिए योग्य वकील से परामर्श करें। हर मामला अपनी विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार अलग हो सकता है, और कोर्ट का निर्णय मामले की विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करता है। संपत्ति कानून समय के साथ परिवर्तित हो सकते हैं, इसलिए नवीनतम कानूनी स्थिति के लिए विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होगा।

Also Read:
wife property rights क्या दूसरी पत्नी मांग सकती है पति की प्रोपर्टी में हिस्सा, जानिये कानूनी प्रावधान wife property rights
5 seconds remaining

Leave a Comment

Whatsapp Group