EMI Bounce Tips: आज के डिजिटल युग में एक अच्छा सिबिल स्कोर होना किसी भी व्यक्ति के वित्तीय जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। सही सिबिल स्कोर होने पर ही आपको आसानी से लोन मिल सकता है और अच्छी क्रेडिट सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं। सिबिल स्कोर अच्छा रखने के लिए समय पर लोन की किस्त चुकाना बहुत जरूरी है। लेकिन जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जब हम अपनी ईएमआई (समान मासिक किश्तें) का भुगतान समय पर नहीं कर पाते हैं और वे बाउंस हो जाती हैं।
ईएमआई बाउंस होने के कारण और प्रभाव
आजकल बड़े खर्चों या जरूरत के समय में लोन लेना एक आम बात हो गई है। हर व्यक्ति जिसने लोन लिया है, उसे निर्धारित तिथि पर ईएमआई का भुगतान करना होता है। कभी-कभी वेतन में देरी, अचानक आने वाले खर्च, या अन्य वित्तीय समस्याओं के कारण ईएमआई का भुगतान समय पर नहीं हो पाता है। इससे न केवल बैंक द्वारा जुर्माना लगाया जाता है, बल्कि आपके सिबिल स्कोर पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। सिबिल स्कोर खराब होने पर भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
बैंक से संपर्क करें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें
अगर आपकी ईएमआई बाउंस हो गई है, तो सबसे पहले घबराएं नहीं। तुरंत उस बैंक की शाखा में जाएं जहां से आपने लोन लिया है। बैंक मैनेजर से मिलकर अपनी स्थिति के बारे में विस्तार से बताएं। अगर किसी विशेष कारण से ईएमआई का भुगतान नहीं हो पाया है, तो उसके बारे में स्पष्ट रूप से बताएं। अधिकतर बैंक मैनेजर आपकी समस्या को समझेंगे और उचित समाधान निकालने में मदद करेंगे। समय पर बैंक से संपर्क करने से आप पर लगने वाले जुर्माने को कम किया जा सकता है।
सिबिल स्कोर की सुरक्षा के लिए विशेष अनुरोध करें
यह जानना महत्वपूर्ण है कि अगर आपकी ईएमआई लगातार तीन महीने तक बाउंस होती है, तो बैंक आपके सिबिल स्कोर में नकारात्मक रिपोर्ट भेज सकता है। लेकिन अगर आपकी एक या दो किस्तें ही बाउंस हुई हैं, तो आप बैंक मैनेजर से अनुरोध कर सकते हैं कि वे आपके सिबिल रिकॉर्ड में नकारात्मक रिपोर्ट न भेजें। इसके लिए आपको उन्हें विश्वास दिलाना होगा कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं आएगी और आप अपनी किस्तें समय पर चुकाएंगे। यह कदम आपके सिबिल स्कोर को बचाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है।
ईएमआई होल्ड करने का विकल्प चुनें
कभी-कभी वित्तीय संकट गंभीर और लंबे समय तक रह सकता है। ऐसी स्थिति में बैंक मैनेजर से ईएमआई को कुछ समय के लिए होल्ड करने का अनुरोध किया जा सकता है। इस विकल्प में आप कुछ महीनों के लिए ईएमआई के भुगतान से राहत पा सकते हैं। लेकिन यह विकल्प चुनने से पहले बैंक के नियमों और शर्तों को अच्छी तरह से समझ लें। कुछ बैंक इस दौरान भी ब्याज वसूल सकते हैं या लोन की अवधि बढ़ा सकते हैं। फिर भी यह विकल्प आपको अस्थायी वित्तीय संकट से उबरने में मदद कर सकता है।
एरियर ईएमआई का विकल्प अपनाएं
अगर आपको हर महीने की शुरुआत में ईएमआई देने में परेशानी होती है, क्योंकि आपकी सैलरी महीने के अंत में आती है, तो आप बैंक से एरियर ईएमआई का विकल्प चुन सकते हैं। सामान्यतः बैंक एडवांस ईएमआई का विकल्प देते हैं, जिसमें महीने की शुरुआत में ही किस्त का भुगतान करना होता है। लेकिन एरियर ईएमआई में आप महीने के अंत में अपनी किस्त जमा कर सकते हैं। यह विकल्प उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिनकी आय या वेतन महीने के अंत में आती है।
नियमित ईएमआई भुगतान की योजना बनाएं
भविष्य में ईएमआई बाउंस होने की स्थिति से बचने के लिए, एक अच्छी वित्तीय योजना बनाना जरूरी है। हर महीने अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा ईएमआई के लिए अलग रखें। अगर संभव हो तो अपने बैंक खाते में स्वचालित भुगतान सुविधा का विकल्प चुनें, जिससे निर्धारित तिथि पर ईएमआई अपने आप कट जाए। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए 2-3 महीने की ईएमआई के बराबर राशि हमेशा बचत खाते में रखें। इससे अचानक आने वाली वित्तीय समस्याओं के समय भी आपकी ईएमआई बाउंस होने से बच सकती है।
बैंक के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें
अपने बैंक के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित रूप से अपने लोन खाते की जांच करें और अगर कोई समस्या हो तो तुरंत बैंक से संपर्क करें। अपने लोन के बारे में सभी आवश्यक दस्तावेज और जानकारी एक सुरक्षित स्थान पर रखें। बैंक द्वारा भेजे गए सभी नोटिस और संदेशों का जवाब समय पर दें। अच्छे बैंकिंग रिलेशनशिप से आपको भविष्य में कई लाभ मिल सकते हैं, जैसे लोन की शर्तों में छूट या विशेष सुविधाएं।
सिबिल स्कोर की नियमित जांच करें
अपने सिबिल स्कोर की नियमित रूप से जांच करना एक अच्छी आदत है। साल में कम से कम एक बार अपना सिबिल रिपोर्ट प्राप्त करें और उसमें किसी भी गलती या अनियमितता की जांच करें। अगर आपको कोई गलती दिखाई देती है, तो तुरंत सिबिल और संबंधित बैंक से संपर्क करके उसे सुधारने का अनुरोध करें। नियमित जांच से आप अपने सिबिल स्कोर में होने वाले बदलावों पर नजर रख सकते हैं और समय रहते सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी और सलाह सामान्य स्थितियों पर आधारित है और हर व्यक्ति की वित्तीय स्थिति अलग हो सकती है। कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। बैंकों के नियम और शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं, इसलिए हमेशा अपने बैंक से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें।