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सरकारी और प्राइवेट बैंक में आपका पैसा कितना सेफ, ग्राहकों को पता होना चाहिए RBI का ये नियम RBI Rules

RBI Rules: हम सभी अपनी कड़ी मेहनत से कमाई गई राशि को बैंकों में जमा करते हैं, यह मानकर कि वहां हमारा पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। लेकिन क्या यह धारणा पूरी तरह सही है? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल ही में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर 6 महीने का प्रतिबंध लगाया है, जिससे ग्राहकों के लिए अपने पैसे निकालना असंभव हो गया है। इस घटना ने बैंकिंग व्यवस्था में जमा राशि की सुरक्षा के बारे में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

बैंक फेल होने पर क्या होता है आपके पैसे का?

जब कोई बैंक विफल होता है या उस पर RBI द्वारा प्रतिबंध लगाया जाता है, तो ग्राहकों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है – क्या उनका पैसा सुरक्षित है? भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में आपकी जमा राशि की सुरक्षा एक सीमा तक ही गारंटीकृत है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, आप किसी भी बैंक में जितना चाहें उतना पैसा जमा कर सकते हैं, लेकिन सुरक्षा की गारंटी सिर्फ एक निश्चित राशि तक ही मिलती है।

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डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की भूमिका

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट, 1961 की धारा 16(1) के तहत, किसी भी बैंक के ग्राहक के खाते में जमा राशि की सुरक्षा अधिकतम 5 लाख रुपये तक ही सुनिश्चित की जाती है। यह भारत के रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित एक संस्था है, जो बैंकों के ग्राहकों के हितों की रक्षा करती है। इसका मतलब है कि अगर आपने बैंक में 10 लाख रुपये जमा किए हैं, और बैंक किसी कारण से विफल हो जाता है, तो आपको अधिकतम 5 लाख रुपये ही वापस मिलेंगे।

5 लाख रुपये की सीमा का विश्लेषण

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यह 5 लाख रुपये की सीमा आपके बैंक में मौजूद सभी प्रकार के खातों पर लागू होती है। इसमें बचत खाता, चालू खाता, सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) और अन्य जमा खाते शामिल हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास एक ही बैंक में अलग-अलग खाते हैं जिनमें कुल मिलाकर 8 लाख रुपये जमा हैं, तो भी आपको बैंक के विफल होने की स्थिति में केवल 5 लाख रुपये ही वापस मिलेंगे।

जोखिम से बचने के लिए क्या करें?

अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए, विशेषज्ञ अक्सर सलाह देते हैं कि अपनी जमा राशि को विभिन्न बैंकों में वितरित करें। इससे आप DICGC द्वारा प्रदान की जाने वाली 5 लाख रुपये की सुरक्षा सीमा का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 15 लाख रुपये हैं, तो आप उन्हें तीन अलग-अलग बैंकों में 5-5 लाख रुपये करके जमा कर सकते हैं, जिससे पूरी राशि सुरक्षित रहेगी।

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बैंक की वित्तीय स्थिति की जांच का महत्व

किसी भी बैंक में पैसा जमा करने से पहले, उसकी वित्तीय स्थिति की जांच करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपको बैंक के नवीनतम वित्तीय विवरणों, उसके एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों) के स्तर, और RBI द्वारा दिए गए रेटिंग पर ध्यान देना चाहिए। विशेष रूप से छोटे और को-ऑपरेटिव बैंकों के मामले में यह जांच और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इनके विफल होने की संभावना अक्सर बड़े राष्ट्रीयकृत बैंकों की तुलना में अधिक होती है।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का मामला: एक उदाहरण

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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर RBI द्वारा लगाए गए प्रतिबंध ने एक बार फिर इस मुद्दे को प्रकाश में लाया है। प्रतिबंध के कारण, बैंक का नया कारोबार रुक गया है और ग्राहक अपनी जमा राशि निकालने में असमर्थ हैं। इस स्थिति में, ग्राहकों को केवल 5 लाख रुपये तक की जमा राशि की ही गारंटी मिलेगी, भले ही उनके खाते में इससे अधिक राशि जमा हो।

RBI की नियामक भूमिका

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बैंकिंग क्षेत्र का मुख्य नियामक है और वह ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न उपाय करता है। जब RBI को किसी बैंक की वित्तीय स्थिति में गिरावट का पता चलता है, तो वह प्रतिबंध लगाकर बैंक के कामकाज पर नियंत्रण करता है। यह कदम ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बनाए रखने के लिए उठाया जाता है।

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बैंकिंग सिस्टम में अपने पैसे की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। RBI के नियम स्पष्ट हैं – किसी भी बैंक में प्रति व्यक्ति अधिकतम 5 लाख रुपये तक की राशि ही सुरक्षित है। इसलिए, अपनी बचत को विभिन्न बैंकों में वितरित करना, बैंकों की वित्तीय स्थिति पर नजर रखना, और जरूरत से ज्यादा नकदी बैंक में न रखना समझदारी होगी। याद रखें, वित्तीय सुरक्षा के लिए जागरूकता और सतर्कता आवश्यक है।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से है। व्यक्तिगत वित्तीय निर्णय लेने से पहले कृपया प्रमाणित वित्तीय सलाहकार या संबंधित बैंक से परामर्श करें। नियम और नीतियां समय के साथ बदल सकती हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट देखें।

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